" अल्लाह की आँख में धूल मत झोंक लल्ला .कुर्बानी का मतलब है किसी अपने अजीज की कुर्बानी . यह क्या हुआ कि शाम को
बकरी खरीदी और सुबह काट डाली और चिल्लाने लगे कुर्बानी ...कुर्बानी ...
दरअसल कुर्बानी तो बकरी देती है ...अपनी जान की कुर्बानी और आप
उसका गोस्त खा कर जश्न मना कर चिल्लाते हो कुर्बानी ...आपने कौन सी
कुर्बानी दी है ? ...यह बकरी की कुर्बानी नहीं उस मासूम शान्तिप्रिय
शाकाहारी विवश जानवर के साथ विश्वासघात है ...और अगर इसे कुर्बानी कहते हैं
...और अगर इस कुर्बानी से सबब मिलता है ...अल्लाह खुश होता है ...तो
इज़राइल और अमेरिका तो तुम्हारी चुन -चुन कर कुर्बानी देते हैं ....जैसे तुम
मासूम अहिंसक बकरी /ऊँट /भेड़ का क़त्ल करते हो और कहते हो कुर्बानी वैसी तो
कुर्बानी इज़राइल और अमेरिका अक्सर करते हैं ...उनको भी इस कथित कुर्बानी
का सबब मिलता होगा तभी तो यह देश फल-फूल रहे हैं, सरसब्ज हैं, खुशहाल हैं,
बरक्कत कर रहे हैं . खुदा की आँख में धूल झोंकने वालो खुद से पूछो किस अज़ीज
की कुर्बानी दी है ...दीन के लिए क्या कुर्बानी दी है ?...ईमान के लिए
क्या कुर्बानी दी है ?
"झूठ झटके का था इसलिए नहीं खाया उसने,
सच को उसने सचमुच हलाल कर डाला ." !! ईद -उल-जुहा मुबारक !! " ----- राजीव चतुर्वेदी
सच को उसने सचमुच हलाल कर डाला ." !! ईद -उल-जुहा मुबारक !! " ----- राजीव चतुर्वेदी
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