" तुम्हारा नाम चाँदनी किसने रखा ?
भले घर की सी दिखती हो
सो जाओ
मैं थका हारा सा सूरज हूँ
सुबह उठना है मुझे
फिर युद्ध करना है
उजालों की लड़ाई में मैं घायल हूँ
तुम्हारी संवेदना मुझको साजिश सी लगती है
भले घर की सी दिखती हो
सो जाओ
तुम्हारा नाम चाँदनी किसने रखा ? " ----- राजीव चतुर्वेदी
भले घर की सी दिखती हो
सो जाओ
मैं थका हारा सा सूरज हूँ
सुबह उठना है मुझे
फिर युद्ध करना है
उजालों की लड़ाई में मैं घायल हूँ
तुम्हारी संवेदना मुझको साजिश सी लगती है
भले घर की सी दिखती हो
सो जाओ
तुम्हारा नाम चाँदनी किसने रखा ? " ----- राजीव चतुर्वेदी
No comments:
Post a Comment