Impleadment
This is the assertion of anyone's right to be heard...
Sunday, July 28, 2013
जिन्दगी पैर नहीं तो पहियों पर भी चल ही लेती है
"
जिन्दगी पैर नहीं तो पहियों पर भी चल ही लेती है ,
खुदा खुदगर्ज था हम जिन्दगी को तनहा तलाशने निकले .
"
--- राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
विभूति"
said...
bhaut hi umda...
July 29, 2013 at 6:22 PM
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छोटे लोगों की बड़ी महत्वाकांक्षाओं का परिणाम हैं छो...
जिन्दगी पैर नहीं तो पहियों पर भी चल ही लेती है
तवायफ के होंठ पर तबस्सुम तलाशते लोगों
खुदा खुद से ही खौफजदा था यारो
निर्जन में जब सृजन ज़रा सा विचलित होगा ...मेरे टुकड़...
बड़ा हमलावर दौर है यह
महिला आरक्षण--"देश राजनीति" से नहीं "देह राजनीति" ...
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