" बड़ा हमलावर दौर है यह
जब कातिलों को मसीहा बताने की मुहिम में
क़त्ल कर दिए गए लोगों के परिजन भी शामिल है
एक मजहब में ऐसा खुदा भी है
जो एक मासूम से जिनह करता है भगवानो देवताओं की लम्बी लाइन नाजायज पिताओं की भी है
किन्तु कोई कर्ण उनसे नहीं लड़ता
लेकिन परिक्रमा के विरुद्ध पराक्रम का पक्षधर कार्तिकेय खडा हो जाता है
एक राजा के अश्वमेध यज्ञ के बिगडैल घोड़े को उसके ही बेटे मर्यादा में बांधते हैं
बताओ लव-कुश, कार्तिकेय, सरस्वती के कहाँ कितने मंदिर हैं ?
सभी भगवानो के हाथ में असलहे हैं
और नकाबपोश आतंकियों का ऐसा खुदा है जो रूह्पोश है
बड़ा हमलावर दौर है यह
जब कातिलों को मसीहा बताने की मुहिम में
क़त्ल कर दिए गए लोगों के परिजन भी शामिल है ." -----राजीव चतुर्वेदी
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