" तू कभी खुद आ मेरे पास तो तुझे खुदा कहूं ,
वरना खामखयाली में रखा क्या है ?" ----राजीव चतुर्वेदी
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"अजीब सी रवायत है जरायम की दुनियाँ में ,
लोग सीरत नहीं सूरत छिपाए फिरते हैं ." ----राजीव चतुर्वेदी
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" खुदा खुद से ही खौफजदा था यारो ,
उसने ताउम्र अपनी सूरत छिपा कर रखी ." ----राजीव चतुर्वेदी
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"वह मजहब गिरोह जैसा है ज़रा गौर करें ,
सरगना रूह्पोश और बन्दे नकाबपोश दहशतगर्द हैं काफी ." --- राजीव चतुर्वेदी
वरना खामखयाली में रखा क्या है ?" ----राजीव चतुर्वेदी
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"अजीब सी रवायत है जरायम की दुनियाँ में ,
लोग सीरत नहीं सूरत छिपाए फिरते हैं ." ----राजीव चतुर्वेदी
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" खुदा खुद से ही खौफजदा था यारो ,
उसने ताउम्र अपनी सूरत छिपा कर रखी ." ----राजीव चतुर्वेदी
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"वह मजहब गिरोह जैसा है ज़रा गौर करें ,
सरगना रूह्पोश और बन्दे नकाबपोश दहशतगर्द हैं काफी ." --- राजीव चतुर्वेदी
2 comments:
" खुदा खुद से ही खौफजदा था यारो ,
उसने ताउम्र अपनी सूरत छिपा कर रखी ."
वाह जी वाह
पधारिये और बताईये निशब्द
खुबसूरत अभिवयक्ति....
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