"इस सदी के दूसरे दशक के शुरुआती दौर में हम ठगे से खड़े हैं ...एक
महास्वप्न का मध्यांतर है ....देश के संरक्षण के लिए किसी आरक्षण की जरूरत
ही नहीं है यहाँ तो देश के भक्षण के लिए आराक्षण की मांग है ....आरक्षण का
आशीर्वाद पा कर जैसे भष्मासुर शंकर के सिर पर हाथ रख कर उनको भष्म करने चल
पडा हो ....क्रान्ति के लिए किसी आरक्षण की जरूरत नहीं होती ...देश की
आज़ादी के लिए जान देने को किसी आरक्षण की जरूरत नहीं होती ...गांधी, भगत
सिंह ,आज़ाद, आंबेडकर , लाजपत राय, जय प्रकाश नारायण, लोहिया आदि सभी का
जन्म गुलाम भारत में हुआ था और सभी ने मिल कर देश को आज़ाद करा दिया ...सभी
ने अपने अपने रास्तों से अंग्रेजों पर चोट की और उसे देश से खदेड़ दिया .
क्या कभी सोचा है कि आज़ादी के बाद भारत माता क्यों बाँझ हो गयी ? आज़ादी के
बाद फिर एक अदद गांधी ...भगत सिंह ,आज़ाद, आंबेडकर, लाजपत राय, जय प्रकाश
नारायण, लोहिया जैसे किसी नेता का जन्म नहीं हुआ,-- क्यों ? ....राजनीति
गोलमाल कर मालामाल होने ...मलाई खाने की जगह हो गयी ...और हर उस जगह जहां
देश का संरक्षण नही बल्कि भक्षण करना हो आरक्षण आसान किश्तों में लागू किया
गया ...आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र हुए ...याद रहे आरक्षण का दाव कोंग्रेस
का नहीं है यह गैर कोंग्रेसीयों का राजनीतिक दाव है ...मंडल कमीशन का गठन
1977 में हुआ था जब मोरार जी देसाई प्रधानमंत्री, अटल बिहारी बाजपेई विदेश
मंत्री, अडवानी -सूचना प्रसारण मंत्री और चरण सिंह गृह मंत्री थे ...मंडल
कमीशन लागू हुआ तब वीपी सिंह प्रधान मंत्री थे जिनको भाजपा का बाहर से
समर्थन था ...इस बार भी पदोन्नति में आरक्षण को भाजपा का समर्थन है ...कुल
मिला कर प्रतिभा के कातिलों में भाजपा की भी समानुपातिक साझेदारी है
....सियाचिन पर राष्ट्र की चौकीदारी करने के लिए कोई क्यों नहीं माँगता
आरक्षण ...नश्ल एक वैज्ञानिक तथ्य है इससे इनकार नहीं किया जा सकता ...आप
अपने खेत में अच्छी नश्ल का बीज क्यों बोते हैं ?...आप अपने घर पर अच्छी
नश्ल का कुत्ता क्यों पालते हैं ? अच्छी नश्ल का घोड़ा ,बैल, गाय ,भैंस
क्यों पालते हैं ? ...घर का वृहद् स्वरुप ही तो राष्ट्र है तो फिर राष्ट्र
को भी उपयोगी कर्मचारी /जनसेवक अच्छी नश्ल के ही पालने होंगे जिसके चयन के
लिए जरूरी है स्वतंत्र प्रतियोगिता फिर आरक्षण क्यों ?... आप सुनना चाहते
हैं अच्छी आवाज़ ...आप सूंघना चाहते हैं अच्छी सुगंध ...आप खरीदना चाहते हैं
अच्छी कार ...अच्छा मकान ...कपडे ...दवा कल को कोई सिरफिरा चिलायेगा सांस
में ओक्सीज़ं के अलावा कार्बन डाईओक्साइड का भी आरक्षण हो ...घुडदोड़ में
भैसे का आरक्षण हो ...खरगोश को हनुमान चालीसा पढ़ा कर शेर से लड़ा दो हो
जाएगा सामाजिक न्याय . --- कुल मिला कर देश के लिए जान देने के लिए आरक्षण
की मांग नहीं है यहाँ तो देश की जान लेलेने को आरक्षण माँगा जा रहा है
...राष्ट्र संरक्षण के लिए नहीं राष्ट्र भक्षण के लिए आरक्षण चाहिए ."
----- राजीव चतुर्वेदी
Saturday, December 15, 2012
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