Wednesday, December 19, 2012

बलात्कार दो प्रकार का होता है --घोषित और पोषित जिसमें शोषित तो हमेशा स्त्री ही होती है

"बलात्कार दो प्रकार का होता है --घोषित और पोषित जिसमें शोषित तो हमेशा स्त्री ही होती है . घोषित बलात्कार के विषय में सभी जानते है पर बारीकी से नहीं . घोषित बलात्कार व्यक्तिगत होता है इसलिए इसका शोर ज्यादा होता है . इसके दो कारण है एक तो वह लोग बहुत शोर करते हैं जो स्वयं भी बलात्कार करना तो चाहते हैं पर क़ानून के डर से ऐसा नहीं करते .वह बलात्कार करने की इच्छा तो रखते हैं पर उसका अंजाम देने का माद्दा नहीं .लडकीयों /स्त्रीयों को देख कर इन घूरती निगाहों के बलात्कार की मंशा रखने वाले बहुतायत में हैं .दूसरे प्रकार का बलात्कार होता है जिसे समाज द्वारा "पोषित बलात्कार " या यों कहें "सामाजिक बलात्कार" कहा जा सकता है . भारतीय समाज की प्रायः शादियाँ इसी श्रेणी में आती हैं . इन शादियों के पूर्व जब होने वाले पति -पत्नी एक दूसरे को जानते ही नहीं हैं तब "सहमति " कहाँ से और कैसे हो सकती है ? लेकिन समाज के अहम् की संतुष्टि तो होती है . आपराधिक या घोषित बलात्कार तथा पोषित या सामाजिक बलात्कार दोनों में शोषित स्त्री की सहमती नहीं होती है . प्रायः सामाजिक दबाव जिसे लोक -लाज कहा जाता है के चलते स्त्री अपनी शादी के विषय में अपनी वास्तविक इच्छा व्यक्त ही नहीं कर पाती है ...और एक रात उस व्यक्ति के साथ विस्तर पर होती है जिसको वह पहले से जानती ही नहीं ...समझती ही नहीं . ---क्या यह बलात्कार नहीं है ? ---यह सामाजिक बलात्कार है और वह आपराधिक या व्यक्तिगत बलात्कार ...हर दशा में स्त्री की दुर्दशा है ...वह शोषित है ...वह बीबी हो या वादी ...वह पत्नी हो या prosicutrix.
"शादियाँ इस दौर में ऐसी भी हुआ करती हैं ,

रूह रोती ही रही देह पर वह काबिज था ." ----- राजीव चतुर्वेदी

1 comment:

विभूति" said...

गहन अभिवयक्ति....