"फ़तवा
क्या है ? ज़रा इसके क्रमबद्ध विकास की कहानी और क्रम पर तो गौर करें . फतह
(जीत), फर्ज (दायित्व ), फरमान (शासनादेश ), फतवा (निर्देश ), फौत (मृत्यु
) और फातिहा (शोक /श्रद्धांजलि गीत या वाक्य ) ... जी हाँ जनाब अब समझ चले
होंगे फतह,फर्ज,फरमान,फ़तवा,फौत और फातिहा जैसे शब्द संबोधनों के विकास की
क्रमबद्ध कहानी ...यह राज्य करने की आकांक्षा को अपने गर्भ में छिपाए मजहब
की भाषा है . फ़तवा, जेहाद और खिलाफत शब्द हर मुसलमान के जेहन में हैं पर
उनमें से शायद ही कोई उसका सही प्रयोग करता हो ...सही प्रयोग तो तब करेगा
जब उसे सही अर्थ पता हो ...खिलाफत का सही अर्थ है "समर्थन" किन्तु लोग इसे
"विरोध" की जगह इस्तेमाल करते हैं जबकि उनको "मुखालफत" कहना चाहिए
...खिलाफत तो हुयी खलीफा की हाँ में हाँ मिलाना या समर्थन . खैर बात एक बार
फिर फतवे पर है ...कश्मीर की चार बेटियों ने एक बैण्ड बनाया किन्तु
मुल्लाओं को लगा उनका बैण्ड बज गया ...बैण्ड का नाम है परगास (प्रभात किरण )
.फतवा आया कि बैण्ड पर प्रतिबन्ध है क्योंकि वह इस्लाम के विरुद्ध है
...संगीत से इस्लाम को ख़तरा है ...एक हिंसक
मजहब संगीत से खौफजदा है इस लिए खामोश हो जाओ ...बेचारी बेटियाँ खामोश हो
गयीं ...अजीब लोग हैं यहाँ जहां खवातीन (महिलायें ) खामोश रहती हैं ...आयशा
के आंसू कोई नहीं पोंछता पर फाहिशा का मुजरा हर कोई सुनता है ...शमशाद
बेगम , नूरजहाँ , बेगम अख्तर ,सुरैया ,आबिदा परवीन , रूना लैला, नादिया हसन
जाने कितने ही नाम हैं जिन पर कभी कोई फतवा नहीं आया ...नकाब और हिजाब की
बात करते मौलवियों को फिल्म में काम करती किस्म -किस्म से जिस्म दिखाती
फाहिशा नहीं दिखीं ...अभी हाल की बीना मालिक नहीं दिखी ...जीनत अमान की
दुकान नहीं दिखी ...भारत -पाकिस्तान -बँगला देश से निकाह के नाम पर अरब
देशों के शेखों द्वारा खरीद कर ले जाई जाती हुयी अपनी बेटियाँ नहीं दिखीं
...क्या उनको यह भी नहीं पता कि विश्व की हर चौथी बाल वैश्या भारत
-पाकिस्तान -बँगला देश की बेटी है और मजहबी आधार पर यदि देखा जाए तो बाल
वेश्याओं के मामले में मुसलमान विश्व के बहुसंख्यक हैं ...इस पर तो कभी
फतवा नहीं आया ....जुआ/सट्टा हराम है पर दाउद इब्राहम का काम है ,फिक्सिंग
के लिए क्रिकेट बदनाम है पर एक बड़ी तादाद इसमें लगी है सो इस पर भी फतवा
नहीं आया ...कल एक मौलवी TV में ही बता रहे थे कि TV देखना हराम है उस पर
भी फतवा पर देशद्रोह हराम नहीं है इस लिए उस पर कोई फतवा नहीं ...बेगुनाहों
का क़त्ल हराम नहीं है इस लिए उस पर भी कोई फतवा नहीं ...हमारी बेटियों को
खरीद कर कोइ शेख /समृद्ध ले जाए उस पर भी कोई फतवा नहीं ...मुजरा सुनने
वालों पर भी कोई फतवा नहीं ...बलात्कार करने वालों पर भी कोई फतवा नहीं
....वाह रे मौलवी तेरी फतह की इक्षा और फतवे की समीक्षा ...नीरज ने लिखा था
--"अब तो एक ऐसा मजहब भी चलाया जाए जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ."
-----राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
YE Statement nahi, Sher ki Dahaad hai..
Aapne is post me Fatwa ke liyye Fatwa Zaari kar diya hai..
Kya hi Bebaak aur Nidar (Fearless) andaaz hai aapka..
Ek baar phir aapne mujhe apna Mureed bana liya hai..
Kripya Path Pradarshak bane rahiye..
Dhanywad..
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