Wednesday, August 1, 2012

और मैं आस में इन्कलाब लिए बैठा हूँ

"लोग लाशों में भी इश्क तलाश लेते हैं,
और मैं आस में इन्कलाब लिए बैठा हूँ."
---राजीव चतुर्वेदी

1 comment:

विभूति" said...

बेहतरीन अंदाज़...