"अगर यह लड़ाई लोकतंत्र की होती तो अच्छा था...अगर यह लड़ाई जनादेश की होती
तो अच्छा था ...अगर यह लड़ाई कोंग्रेस -भाजपा--सपा-वाम--NDA-UPA की होती तब
भी अच्छा था...यह लड़ाई हिन्दू -मुसलमान की भी नहीं है. यह लड़ाई तो KGB Vs.
CIA है जिसमें जनादेश या हम भारतीय
नागरिकों की इच्छा बेमानी है. हमारा प्रधानमंत्री चुनाव जीत कर नहीं आता
बल्कि "मेड बाई अमेरिका" आता है. हमारे क़ानून "मेड बाई अमेरिका" आते हैं.
हमारा राष्ट्रपति "मेड बाई अमेरिका" होता है. सोनियां इलाज करवाने जाती हैं
तो अमेरिका. यह अमरीकी गुर्गे भारत की राजनीति में सेंध फोड़ कर घुस आये
हैं चुनाव जीत कर हमारा जनादेश ले कर नहीं आये. एशिया में सोवियत रूस के
वर्चस्व को मात देने के लिए अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को गोट बनाया था और
भारत को मात देने के लिए मन मोहन सिंह को गोट बनाया है. मन मोहन सिंह
भारतीय राजनीति के टेस्ट ट्यूब बेबी होते तो स्वीकार कर लिए जाते...वह
भारतीय राजनीतिक पालने मैं पल रही लोकतंत्र की नाजायज संतान हैं. यह अमरीकी
वायरस भारतीय राजनीति में जब से घुसे है भारत की राजनीति वायरल फीबर से
ग्रस्त है. चूंकि मन मोहन सिंह जनता से सीधे चुन कर तो आये नहीं हैं इस लिए
जनता के प्रति जवाबदेह भी नहीं हैं वह अमेरिका के द्वारा भारत पर थोपे गए
हैं इस लिए अमेरिका के प्रति जवाब देह हैं और आज की तारीख में हम दरअसल
अमेरिका के गुलाम हैं." ----राजीव चतुर्वेदी
Saturday, August 25, 2012
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2 comments:
बिलकुल जी यही आज कि हकीकत है !!
aap ne sahi kaha,par aesa lagta hai ki gumad aabhi paka nahi,pagega to chira bhi lagega,thanks
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