Impleadment
This is the assertion of anyone's right to be heard...
Sunday, September 2, 2012
मेरी इच्छा चूल्हे की चिंगारी जैसी
"मेरी इच्छा चूल्हे की चिंगारी जैसी,
और ऊपर फूंस के छप्पर सी दुनिया."
----राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
डॉ. मोनिका शर्मा
said...
Khoob Kaha....
September 2, 2012 at 11:10 AM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Followers
Blog Archive
►
2014
(6)
►
May
(1)
►
January
(5)
►
2013
(92)
►
December
(5)
►
October
(1)
►
September
(2)
►
August
(5)
►
July
(7)
►
June
(9)
►
May
(5)
►
April
(15)
►
March
(12)
►
February
(7)
►
January
(24)
▼
2012
(236)
►
December
(20)
►
November
(13)
►
October
(11)
▼
September
(12)
तेरे अन्दर -मेरे अन्दर, एक समंदर
गणपति को याद रखो हे पर कार्तिकेय को क्यों भूल गए ?
एक अहसास निखरता है मेरे मन में गुमाँ बनता है
जीवन में च्यवनप्राश और विचारों में क्रांतिप्राश
आगे लोकतंत्र का खतरनाक मोड़ है...
झांको उसमें अक्स तुम्हारा भी उभरेगा
वह शब्द रक्त से व्यक हुए हैं
बुद्धिजीवी और बुद्धिखोर का अंतर ही अभिव्यक्ति की आ...
आरक्षण भारतीय राजनीति के इतिहास का उपहास है
अब्राहम लिंकन का पत्र अपने बेटे के शिक्षक के नाम
कऊओं की बस्ती में भी कोयल की कूक सवेरा करती है
मेरी इच्छा चूल्हे की चिंगारी जैसी
►
August
(14)
►
July
(27)
►
June
(16)
►
May
(23)
►
April
(38)
►
March
(29)
►
February
(33)
►
2011
(9)
►
May
(5)
►
March
(3)
►
February
(1)
►
2010
(24)
►
March
(8)
►
February
(8)
►
January
(8)
About Me
Unknown
View my complete profile
1 comment:
Khoob Kaha....
Post a Comment