Monday, February 25, 2013

आज आतंकवाद का एक मजहब है या यों कहें पूरी दुनिया में एक ही मजहब का आतंकवाद है और वह है इस्लाम


"जबसे पाकिस्तान के एक लाख से अधिक अत्याधुनिक अमरीकन हथियारों से लैस सैनकों ने भारतीय सेना के आगे बिना एक भी गोली चलाये आत्म समर्पण किया (1971) तबसे पाकिस्तान भारत से प्रत्यक्ष युद्ध से कतराता है और परोक्ष युद्ध करता है ... इस परोक्ष युद्ध के लिए पाकिस्तान की ISI भारतीय मुसलमानों का मजहब के नाम पर इस्तेमाल करती है . जगह-जगह  हर संवेदनशील स्थान पर स्लीपिंग मोड्यूल देशद्रोह का काम कर रहे हैं ...जहां -जहां सैन्य छावनीयाँ हैं वहाँ के निकासी द्वार के मुहाने की सड़क पर एक मज़ार रातों रात उग आती है जहां से भारतीय सैन्य गतिविधियों की पाकिस्तान को मुखबिरी होती है ...हर सैन्य छावनी बाले  स्थान के रेलवे स्टेशन पर गौर करें उसके एक सिरे पर सरकारी जमीन में एक मज़ार बना दी गयी होगी .यहाँ से भारतीय सैन्य गतिविधियों  पर नज़र रखी जाती है और जरूरत पड़ने पर सूचना पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं को दी जाती है ...मस्जिदें  हमला करने के अड्डे बन चुकी हैं अलविदा की नवाज़ के बाद मुम्बई में शहीद स्मारक पर हमला ...लखनऊ में बुद्ध पार्क में बुद्ध प्रतिमा पर हमला ...वह भी क्यों ?--- केवल इस आक्रोश को व्यक्त करने के लिए कि पड़ोसी देश म्यांमार (वर्मा ) में बलात्कार करते पकडे जाने पर वहाँ की जनता ने दो मुसलमान युवकों को पीट -पीट कर मार डाला था लेकिन यह लोग किसी मस्जिद किसी मजलिस से भारतीय सैनिक हेमराज का सिर पाकिस्तान द्वारा काट लिए जाने पर कभी कोई बयान नहीं दिया . मुहर्रम पर पाकिस्तान के समर्थन के मस्जिदों मजलिसों से नारे सभी ने सुने हैं ...बस वोट बैंक की लालच में राजनीति ने नहीं सुने ...इसी स्लीपिंग मोड्यूल में एक वर्ग सक्रीय आतंकवाद में --तोड़फोड़ में भागीदारी करता है और दूसरा वर्ग उसे छिपाने का समाज और पुलिस को भ्रमित करने का और आतंक की परोक्ष हिमायत करने का काम करता है ...यह वह लोग हैं जो कथित तौर पर पढ़े लिखे हैं जो तमाम तरह के मीडिया पर जा कर यह कहते सुने जा सकते है कि --"आतंकवादीयों का कोई मजहब नहीं होता ." जबकि सभी जानते हैं कि भारत में आज आतंकवादीयों का एक ही मजहब है-- "इस्लाम" ...भारत ही नहीं पूरी दुनियाँ इस्लामिक आतंकवाद से  आक्रान्त है ...यह आतंकियों के स्लीपिंग मोड्यूल कभी अफज़ल गुरू को महिमा मंडित करते हैं क़ि मरते समय उसने कुरआन माँगी ,उसको मरने के पहले अपने पांच साल के बच्चे से भी मिलने नहीं दिया जबकि सभी जानते हैं कि जब वह गुजरे 11 साल से जेल में था तो उसका 5 साल का बेटा कैसे था आदि आदि ...जो लोग इस्लाम के प्रति वास्तव में सजग हैं और अपने आपको मुहम्मद का वंशज मानते हैं वह इस निर्णायक मोड़ पर अपना दीन और ईमान सम्हालें वरना यजीद और सूफियान के विचार वंशज तो दहशतगर्दी में लगे हैं और आज आतंकवाद का एक मजहब है या यों कहें पूरी दुनिया में एक ही मजहब का आतंकवाद है और वह है इस्लाम."--राजीव चतुर्वेदी                    


1 comment:

पूरण खण्डेलवाल said...

बिलकुल सही कहा है आज पूरी दुनिया इस्लामी आतंकवाद से त्रस्त है !!