Impleadment
This is the assertion of anyone's right to be heard...
Monday, November 5, 2012
...वरना मैं चुप हो जाऊंगा
"
हर कविता मेरा आंसू है,-क्या तुम पर उसका साँचा है?
यह बात बताना तुम मुझको वरना मैं चुप हो जाऊंगा.
"
---- राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
Unknown
said...
gorgeous creation..:-)
November 5, 2012 at 2:24 PM
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यहाँ राष्ट्र के भक्षण के हर अवसर पर आरक्षण है
शायद उनकी नज़रों में मैं पाकीज़ा नहीं
विदा होती हूँ मैं ...
यह आईना दिखाता अनुरोध है !!
आम आदमी को "आम" की तरह ख़ास आदमी चूसता रहा है
शोकगीत में उगी हुई यह कविता तुम्हें कैसी लगी ?
अतः आज हम मनाते हैं महिला मुक्ति दिवस
धन्य त्रियोदसी
सपने भी सहमे हैं इन बच्चों के
मैं भी मुस्कुराना चाहता था
...वरना मैं चुप हो जाऊंगा
जब मौत मेरी हमसफ़र हो तो डरूं किससे यहाँ ?
यह स्मृति है... स्मृत का क्या ?
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1 comment:
gorgeous creation..:-)
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