जब राष्ट्रीय चरित्र का अवमूल्यन होता है तो राष्ट्रीय मुद्रा का भी अवमूल्यन हो ही जाता है
"जब
राष्ट्रीय चरित्र का अवमूल्यन होता है तो राष्ट्रीय मुद्रा (रुपये) का भी
अवमूल्यन हो ही जाता है. चूंकि मनमोहन सिंह को हमने कभी कहीं से नहीं चुना
पर वह राज्य सभा में अपना गौहाटी (आसाम) का फर्जी पता दे कर पिछले दरवाजे
से घुस गए हैं या यों कहें कि सेंध फोड़ कर घुस गए हैं. वह हमारे जनादेश से
नहीं अमेरिका की कृपा से हमारे प्रधान मंत्री हैं इसलिए अमेरिका के आगे
नतमस्तक मुद्रा में हैं. जब हमारा प्रधानमंत्री अमेरिका के आगे लुडक जाता
है और न्यूनतम स्तर पर खड़ा होता है तो हमारी मुद्रा भी डॉलर के सामने लुडक
जायेगी और न्यूनतम स्तर पर खाड़ी होगी."
---- राजीव चतुर्वेदी
"रुपये का अवमूल्यन सबूत है कि भारत से पैसे (धन ) का पलायन हो रहा है.
इसके दो ही कारण है हमारा विदेशी वस्तुओं के प्रति बढ़ता मोह कि जिसके कारण
भारत विदेशी वस्तुओं का बड़ा बाज़ार बन गया है और आयात निर्यात संतुलन बिगड़
गया है और दूसरे भारतीय धन जिसे घूसखोर नौकर शाहों और नेताओं ने देश के
बाहर निवेश कर रखा है या विदेशी बैंकों में जमा कर रखा है. राष्ट्र की
पैंदी में छेद कर दिया गया है जिससे राष्ट्रीय पूंजी का रिसाव बहुत तेज हो
रहा है. इन दोनों ही कामों के लिए वर्तमान मनमोहन सरकार दोषी ही नहीं
देशद्रोह की अपराधी भी है. " ----राजीव चतुर्वेदी
No comments:
Post a Comment