" यह तो बताईये कि आपकी नज़र का नज़रिया क्या है ?
और यह भी बताते तो कुछ बेहतर होता कि --
आपके ज्ञान का जरिया क्या है ?
आपकी सिद्धि किस विधा में है और उसका अंत कहाँ होता है ?
सिद्धि के अंत को सिद्धांत कहा जाता है
इससे आपका किस तरह का नाता है ?
सार्वभौमिक हो संबोधन और लोक का मानक हो
लोकप्रिय उसको कहा जाता है
"मैं " का उद्बोधन अहंकार की टंकार है क्या ?
या क़ि आत्मा के अक्षांश से अंगार बढ़ा आता है ." ----राजीव चतुर्वेदी
और यह भी बताते तो कुछ बेहतर होता कि --
आपके ज्ञान का जरिया क्या है ?
आपकी सिद्धि किस विधा में है और उसका अंत कहाँ होता है ?
सिद्धि के अंत को सिद्धांत कहा जाता है
इससे आपका किस तरह का नाता है ?
सार्वभौमिक हो संबोधन और लोक का मानक हो
लोकप्रिय उसको कहा जाता है
"मैं " का उद्बोधन अहंकार की टंकार है क्या ?
या क़ि आत्मा के अक्षांश से अंगार बढ़ा आता है ." ----राजीव चतुर्वेदी
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