Monday, January 7, 2013

शब्दों में भावना डाल कर मैंने फेंटा


"शब्दों में भावना डाल कर मैंने फेंटा
अनुप्राश का दिया लपेटा
कुछ ऐसा कह डाला जिसकी गुंजाइश गुमनाम यहाँ थी
जीवन दर्शन में वह हरकत वैसे तो बदनाम यहाँ थी
मैंने बांटा
तुमने चाटा
लडकी ने कविता लिख डाली
लड़कों ने फिर करी जुगाली
वाह -वाह और अद्भुद -अद्भुद
होगयी कविता
कविता अब डेटिंग करती है
मित्रों की सैटिंग करती है
साहित्यों की बात करो मत
फेसबुक का पन्ना है यह
यहाँ उल्हाना और लुभाना दो ही काम किये जाते हैं
प्यार की संभावना संकोच करती है
तो कविता के नीचे ईलू -ईलू पैगाम दिए जाते हैं
लिखा हुआ है --सुन्दर -सुन्दर
सोच रहा हूँ ताक झाँक कर कौन है सुन्दर ?
कविता या वह बबिता कविता लिखने वाली
कविता पढ़ ली ख़ास नहीं है
कविता से सुन्दर तो वह है फर्जी प्रोफाइल का फोटो
वह ही सुन्दर दीख रहा है
कविता से सुन्दर है बबिता
कविता डेटिंग पर आयी है
पाठक सैटिंग पर आया है
सुन्दर -सुन्दर ,वाह -वाह और अद्भुद -अद्भुद

शब्दों में भावना डाल कर मैंने फेंटा
अनुप्राश का दिया लपेटा
कुछ ऐसा कह डाला जिसकी गुंजाइश गुमनाम यहाँ थी
जीवन दर्शन में वह हरकत वैसे तो बदनाम यहाँ थी
मैंने बांटा
तुमने चाटा
लडकी ने कविता लिख डाली
लड़कों ने फिर करी जुगाली
वाह -वाह और अद्भुद -अद्भुद .
" ----- राजीव चतुर्वेदी

2 comments:

Alaknanda Singh said...

shabdon ki lazbab composition bahut dinon baad padhi.bhawnayen kya is tarah bhi piroyee jaa sakti hain.bahut khoob rajiv ji.

Alaknanda Singh said...

lazbab shabdon ki composition rajiv ji.shabdon main bhawanayen is tarah bhi udeli jaa sakti hai...bahut khoob.