Impleadment
This is the assertion of anyone's right to be heard...
Wednesday, July 11, 2012
अवसरों की चूक का अवसाद क्या होगा ?
"अब कि जब तू नहीं है शब्द हैं केवल तो संवाद क्या होगा ?
मैं लडखडाया था
शब्द सहारा थे
अवसरों की चूक का अवसाद क्या होगा ?"
-----राजीव चतुर्वेदी
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वरना इस बाज़ार में आया क्यों था ?
यम तू जानता है ये धरती है भारत की
आदमी की तरह मैंने भी वफ़ा बेची थी
बंगलादेशी हमला है यह असम की आहें कौन सुने
वक्त की टूटी हुई ये चूड़ियाँ
समेटो शब्द को
यहाँ कुर्सीयों पर लाश ही दीखती है
भाषा भ्रष्टाचार से लड़ने का पहला और अंतिम हथियार हो...
इस मुस्कुराती सुबह का क़त्ल होने से पहले बयान सुन लो
जिन्दगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र ...
वह खबर से लिपट कर बेखबर हो गयी
तेरा वह आंसू भी शामिल है इसी बरसात में
इस राख में जो आग थी उसको मेरी श्रद्धांजलि
रात की स्याही पे सूरज के दस्तखत सी सुबह
अवसरों की चूक का अवसाद क्या होगा ?
जिन्दगी बहती है बहती हैं नदियाँ जैसे
युद्ध में जो घायल हुए थे शब्द वह सुस्ता रहे हैं, ....
चाँद के इस पार चरागों का शहर है
देश की "ऋषि- कृषि परम्परा" को सोनियां सरकार नष्ट क...
यहाँ हो रहा ईलू- ईलू काव्य विमोचन
यहाँ हो रहा ईलू- ईलू काव्य विमोचन
उसने माचिश से मेरा मुकद्दर लिख दिया
गांधी बनाम...???
रात उजालों पे क्या गुजरी थी ?
बात यदि होती सत्य निष्ठा और प्रतिष्ठा की
क्या तुम्हारा नाम लिख दूं स्नेह के सारांश सा ?
सिद्ध, गिद्ध और बुद्धि सभी की चोंच बहुत पैनी हैं
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