"सब जानते हैं वह गटर थी,
गंगा में क्या मिली कि उसको गुरूर था.
वह लड़खड़ा गया था किसी हादसे को सुन,
लोगों की राय में उसको सुरूर था.
वह घूसखोर जिसके लिए पेशकार ले रहा था घूस,
वकीलों की अब निगाह में वह भी हुजूर था.
मेहनतकशों के मुकद्दरों में थीं मायूसियां लिखी,
हर हरामखोर के चेहरे पे नूर था. " ----राजीव चतुर्वेदी
गंगा में क्या मिली कि उसको गुरूर था.
वह लड़खड़ा गया था किसी हादसे को सुन,
लोगों की राय में उसको सुरूर था.
वह घूसखोर जिसके लिए पेशकार ले रहा था घूस,
वकीलों की अब निगाह में वह भी हुजूर था.
मेहनतकशों के मुकद्दरों में थीं मायूसियां लिखी,
हर हरामखोर के चेहरे पे नूर था. " ----राजीव चतुर्वेदी
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