Monday, April 16, 2012

प्यार की पैमाइश के कब पैमाने मिलेंगे ?

" हो सके तो देख लेना चाँद तुमभी आज छलनी से छलकता 
चांदनी की चादर जब हटाना ख्वाब मेरे छत पे ही बैठे मिलेंगे
अगरबत्ती सी सुलगती है जहन में आत्मा मेरी पुकारा तुमने क्या ?
देह की पैमाइश की नुमाइश हो चुकी अब
प्यार की पैमाइश के कब पैमाने मिलेंगे ?"
----राजीव चतुर्वेदी

No comments: