Wednesday, April 18, 2012

क़त्ल हो चुके तेरे कारीगरों ने भी मुहब्बत की थी


"ऐ ताज !! शहंशाहों की मोहब्बत में बरक्कत न मांग,
क़त्ल हो चुके तेरे कारीगरों ने भी मुहब्बत की थी. "
                        ---- राजीव चतुर्वेदी

No comments: