"हिन्दी क्यों क्रमशः मर रही है ? उर्दूभाषी समाज हो या अंगरेजी भाषी समाज सभी अपनी भाषा के आचरण और व्याकरण के प्रति सतर्क है पर हिन्दी जगह जगह गलत लिखी जा रही है, न भाषाई आचरण सही है न व्याकरण और न ही कोई मानकीकरण. परिणाम कि आप कहना कुछ चाहते हैं कहते कुछ हैं. कई बार यह किसी व्यक्ति के लिए अनापेक्षित रूप से अतिक्रमण होता है और प्रायः संक्रमण. हिन्दी हमारे राष्ट्रीय गौरव और संस्कृति की प्रतीक पताका है. इसे अपने ज्ञान की उत्ताल हवाओं में निर्बाध फहराइए पर भाषा के संस्कार, आचरण और व्याकरण को ध्यान में रख कर.---- सादर !!" ----- राजीव चतुर्वेदी
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