"महात्मा गांधी ने नमक क़ानून तोड़ने की नोटिस 2 March'1930 देते हुए अंग्रेज वायसराय को लंबा पत्र लिखा था -- "...जिस अन्याय का उल्लेख किया गया है वह उस विदेशी शाशन को चलाने के लिए किया जाता है, जो स्पष्टतह संसार का सबसे महँगा शासन है. अपने वेतन को ही लीजिये यह प्रतिमाह 21 हजार रुपये से अधिक पड़ता है, अप्रत्यक्ष भत्ते आदि अलग. यानी आपको प्रतिदिन 700 रूपये से अधिक मिलता है ,जबकि भारत की प्रति व्यक्ति औसत आमदनी दो आने प्रति दिन से भी कम है. इस प्रकार आप बारात की प्रति व्यक्ति औसत आमदनी से पांच हजार गुने से भी अधिक ले रहे हैं. ब्रिटिश प्रधान मंत्री ब्रिटेन की औसत आमदनी का सिर्फ 90 गुना ही लेते हैं...यह निजी दृष्टांत मैंने एक दुखद सत्य को आपके गले उतारने के लिए लिया है...."
गुजरी सदी में उठाया गया गांधी का यह सवाल इस सदी में भारत के राष्ट्रपति- प्रधानमंत्री और शाशन व्यवस्था के सन्दर्भ में प्रासंगिक है. औसत भारतीय की रोजाना की आमदनी 32 रुपये के लगभग है जबकि राष्ट्रपति पर रोज 5 लाख 14 हजार से ज्यादा खर्च होता है जो औसत भारतीय की तुलना में 16063 गुना अधिक है .इसी प्रकार प्रधानमंत्री पर रोजाना 3 लाख 38 हजार रूपये खर्च आता है जो औसत भारतीय की आमदनी का 10562 गुना अधिक है .केन्द्रीय मंत्रिमंडल पर रोजाना का खर्चा लगभग 25 लाख रुपये है जो औसत भारतीय की आमदनी का 1 लाख 5 हजार गुना है." --- राजीव चतुर्वेदी
गुजरी सदी में उठाया गया गांधी का यह सवाल इस सदी में भारत के राष्ट्रपति- प्रधानमंत्री और शाशन व्यवस्था के सन्दर्भ में प्रासंगिक है. औसत भारतीय की रोजाना की आमदनी 32 रुपये के लगभग है जबकि राष्ट्रपति पर रोज 5 लाख 14 हजार से ज्यादा खर्च होता है जो औसत भारतीय की तुलना में 16063 गुना अधिक है .इसी प्रकार प्रधानमंत्री पर रोजाना 3 लाख 38 हजार रूपये खर्च आता है जो औसत भारतीय की आमदनी का 10562 गुना अधिक है .केन्द्रीय मंत्रिमंडल पर रोजाना का खर्चा लगभग 25 लाख रुपये है जो औसत भारतीय की आमदनी का 1 लाख 5 हजार गुना है." --- राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
good information. sir plese keep it and spread all over the media.
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